सचिव संदेश
रमेश पुत्र गोपी बाई – सचिव (गवेषणा)
गवेषणाः स्वपोषी सभ्यता का मार्ग
गवेषणा के मूल में मानव गरिमा का बोध अंतर्निहित है अर्थात् मानव ही किसी समाज या संस्कृति की मौलिक इकाई का है । मानव समाज के विकास में अनेक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों की अनिवार्य व महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इस अर्थ में मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जिसके शुभ-अशुभ, उचित-अनुचित, वर्णीय- त्याज्य का निर्धारण भी उनके सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों द्वारा निर्धारित होता है। भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न प्रकार की संस्कृतियां जीवित है अत: गवेषणा सांस्कृतिक सहिष्णुता एवं लोकतांत्रिक भावना को बढ़ावा देते हुये बहुसंस्कृतिवाद का समर्थन करती है। समाज एवं संस्कृति एक गतिशील तंत्र हैं जिसकी गतिशीलता एवं विकास उसके अंतर्निहित मूल्यों द्वारा निर्धारित व निर्देशित होती है। किसी भी संस्कृति एवं समाज का विकास समय के सापेक्ष उनके मूल्यों के मूल्यांतरण पर निर्भर करता है। अर्थात् जो समाज व संस्कृति मानवोत्थान के उन्नयन हेतु संक्षम होता है वही समाज एवं संस्कृति एक गतिशील समाज का निर्माण कर सकता है। हम सब देखते हैं कि कुछ रूणीवादी, अंधविश्वास, पित्रसत्तात्मक, भेद-भाव के कारण सामाजिक असमानता उत्पन्न होती है जिसके परिणामस्वरुप मानव गरिमा का अपूर्णीय विघटन होता है। जो किसी भी सभ्यता व संस्कृति के विकास में बाधक है। जिसके समाधान हेतु गवेषणा वैज्ञानिक दृष्टि को अपनाता एवं अनिवार्य मानता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिये गवेषणा संवाद प्रोग्राम प्रतिमाह आयोजित किया जाता है इसी प्रकार पित्रसत्तात्मक, जातिगत भेद मनोवृत्ति के निवारण स्वरुप गवेषणा अपने निजी पहचान के रुप में जाति व पिता के नाम के स्थान पर मां के नाम उल्लेख का समर्थन व अपील करती है इसी प्रकार ‘मैं’ जो ‘अहं’ का द्योतक है, के स्थान पर ‘हम’ शब्द के उपयोग करने पर जोर देता है।
गवेषणा पर्यावरणीय संकट व जैव उर्जा जैसी वैश्विक समस्या के प्रति अत्यधिक संवेदनशील संस्था है। जिसके निवारण के लिये गवेषणा दुर्लभतम, प्रजाति, संकटग्रस्त वनस्पतियों का संग्रहण एवं वृक्षारोपण आवश्यकता अनुसार कल्पवृक्ष नर्सरी द्वारा किया जाता है। पर्यावरण के प्रति जारुकता को प्रोत्साहित करने के लिये पर्यावरण नागरिकता की परिकल्पना विकसित की।
मानव स्वास्थ्य मानव गरिमा का अनिवार्य अंग है अत: वृक्षों व फसलों के उत्पादन में कपोस्ट व ओर्गेनिक खाद्य के उपयोग पर जोर देती है जिससे गौधन की रक्षा स्वत: हो जाती है। वही उर्जा संकट जैसी वैश्विक समस्याओं के निपटान हेतु नवीकरणीय श्रोत के विकास व उत्पादन पर जोर देता है जैसे पवन उर्जा, सौर उर्जा, परमाणु उर्जा, जल उर्जा आदि। वहीं जल समस्या के निवारण हेतु वाटर हारवेस्टरी पर जोर देती है। गवेषणा मानवीय सामर्थ्य के पहचान व विकास के लिये जीवन जाग्रति अभियान को संचालित करती है जो मानवोत्थान में व्यवहारिक संकल्पना को चरितार्थ करती है।
इस प्रकार गवेषणा अपनी वैज्ञानिक व मानवतावादी जीवनदृष्टि के द्वारा मानव गरिमा को समाज में पुनर्स्थापित करनी के मिशन में संलग्न है।