हमारे बारे में
हम क्या करते हैं ?
गवेषणा संगठन के रूप में वैज्ञानिक दृष्टिकोण व जीरो-डिस्क्रिमिनेशन युक्त, आधुनिक व उत्तर-आधुनिक जीवन मूल्यों पर आधारित चराचर-सम्वेदी वैश्विक मानव सभ्यता के विकास के लिए काम करती है। समाज में स्वास्थ्य एवं सामाजिक सोहार्द्र के साधन के रूप में अंगदान को सामान्य स्वीकार्यता का भाव बनाना चाहते हैं। हमारी आदर्श सभ्यता में बच्चों, महिलाओं, आगामी पीढ़ियों, वंचितों कमजोरों जीवों-वनस्पतियों व प्रकृति को संरक्षण व विकास के विशेषाधिकार होंगे। ऐसी सभ्यता के विकास के उपाय भी लौकिक व वैज्ञानिक शोध पर आधारित, शिक्षा-प्रशिक्षण, जागरूकता व प्रेरणादायक, सृजनात्मक कार्य संपन्न किये जाते हैं जो एक मानवतावादी, वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त प्रगतिशील सभ्यता के निर्माण व विकास के लिए अनिवार्य है।
हमारा विज़न
गवेषणा मानवोत्थान पर्यावरण तथा स्वास्थ्य जागरूकता समिति का विज़न स्पष्टत: वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त, चराचर केंद्रित, मानव गरिमा, चराचर सम्वेदी पर्यावरण नागरिकता, धर्मनिर्पेक्षता, वंचितों के विशेषाधिकार, बहुसंस्कृतिवाद, जाति-मुक्त व जीरो-डिस्क्रिमिनेशन आदि आधुनिक व उत्तर-आधुनिक जीवन मूल्यों पर आधारित प्रगतिशील व सृजनात्मक समाज का निर्माण करना है।
हमारा मिशन
मूलत: हमारा मिशन सामाजिक बदलाव है। हम परंपरागत समाज को आधुनिक, चराचर संवेदी तथा मानव गरिमायुक्त स्वस्थ समाज में बदलना चाहते हैं। हम जातियों – उपजातियों में अस्पृश्यता के स्तर तक बँटे हुये समाज को ‘जीरो-डिस्क्रिमिनेशन’ युक्त संवेदनशील समाज बनाना चाहते हैं। हम सामाजिक बदलाव के उपकरण के रुप में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, शिक्षा प्रशिक्षण और जागरुकता का उपयोग करना चाहते हैं।
हम कौन हैं ?
“गवेषणा: पूर्वी क्षितिज की ओर बढ़ता कारवाँ !”
“गवेषणा” पंजीकृत संस्था “गवेषणा मानवोत्थान पर्यावरण तथा स्वास्थ्य जागरूकता समिति (पं. संख्या 06/09/01/13885/21) का संक्षिप्त नाम ही नहीं है, आधुनिक व उत्तरआधुनिक जीवन मूल्यों को जीने वालों का सम्पूर्ण जीवन दर्शन भी है। हमारे जीवन दर्शन का सम्पूर्ण आशय इसी एक शब्द “गवेषणा” में निहित है। गवेषणा शब्द अनुसंधान, शोध, खोज, रिसर्च के रूप में रूढ़ हो चुका है। इस रूढ़ अर्थ को हम पूर्णतः स्वीकार करते है । यदि हमारे मुख्य मुख्य पंजीकृत उद्देश्यों 2, 3, 4, 5, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21 व 24 आदि को देखा जाये तो उनकी उपलब्धि एक वैज्ञानिक शोध प्रविधि को अपनाए बिना व शोध कार्य किये बिना नहीं हो सकती ।
संस्कृत शब्द ‘गवेषणा’ गाय की खोज से निकला है। हमारे समाज कि प्रारंभिक अवस्था में परिवार की एक मात्र सम्पति गाय थी। गाय धन का एक स्वरूप होने के साथ ही एक कालखंड में विनियम का माध्यम भी रही। इस प्रकार पशुपालन व कृषि ही नहीं व्यापार – वाणिज्य का विकास भी गाय से हुआ। अतः गाय की खोज का आशय “समाज के धन व उनके कारणों की खोज रहा है।” यहाँ यह स्पष्ट है कि “गवेषणा मानवोत्थान पर्यावरण तथा स्वास्थ्य जागरूकता समिति (पं. संख्या 06/09/01/13885/21) “में भी ‘गवेषणा’ का अर्थ लौकिक और भौतिक सम्पति या सम्पन्नता सम्बन्धी रिसर्च से है। हमारा कोई अलौकिक उद्देश्य नहीं हो सकता है। इसी बात को 1776 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने समझा और वे “राष्ट्रों की संपदा और उसके कारणों की खोज” विषयक शोध कार्य करके अर्थशास्त्र के पितामह हो गए। जबकि गवेषणा के नाम से हमारे परिवार आदिम युग से यही कर रहे हैं।
जैसा कि मैंने गवेषणा के आशय में स्पष्ट किया कि केवल “लौकिक, भौतिक व वस्तुनिष्ठ सम्पति या सम्पन्नता सम्बन्धी रिसर्च ही गवेषणा है।” इसकि पुष्टि गवेषणा के अन्य निहितार्थ में भी होती है। संस्कृत में गवेषणा के मूल शब्द “गो” का एक अर्थ हमारे शरीर की ज्ञानेंद्रियां भी होता है। इस आशय से गवेषणा केवल वह रिसर्च ठहरती हैं जो ज्ञानेंद्रिय संवेदनों के परीक्षण व निरीक्षण पर निर्भर होवे। वर्तमान समय में विज्ञान ने अनेक उपकरणों का आविष्कार करके हमारी ज्ञानेंद्रियों की क्षमता में अनंत गुनी वृद्धि कर दी है। हम इन यंत्र उपकरणों द्वारा वर्धित ज्ञानेंद्रिय शक्ति को स्वीकार करते हुए गवेषणा कर सकते है। परन्तु इंद्रियों की क्षमता कितनी भी बढ़ जावे वे मात्र इहलौकिक, भौतिक व वस्तुनिष्ठ आधानों से ही संवेदन ग्रहण कर सकती है। आस्था, अलौकिक ज्ञान या इंट्यूशन से ज्ञानेंद्रियां कोई संवेदन प्राप्त नहीं कर सकती। इस कारण हमारी ज्ञानेंद्रियों पर निर्भर हमारी बुद्धि भी आस्था, इंट्यूशन या अलौकिक अनुभव को ज्ञान में परिवर्तित नहीं कर सकती। अतः गवेषणा की रिसर्च का विषय कभी भी पारलौकिक, आत्मनिष्ठ और अभौतिक विषयवस्तु नहीं हो सकती। हम कोई आत्मनिष्ठ विधि, ध्यान, कृपा आस्था, आशीर्वाद आदि पर निर्भर नही रह सकते। मानव विकास के हमारे उद्देश्य केवल इहलौकिक, भौतिक, व वस्तुनिष्ठ ही हो सकते है। अर्थात् साध्य व साधन दोनों दृष्टियों से गवेषणा भौतिकवादी, इहलोकवादी व वस्तुनिष्ठ है। गवेषणा शब्द के रूढार्थ व निहितार्थ दोनों दृष्टियों से यह सुनिश्च होता है कि गवेषणा केवल लौकिक, भौतिक व वस्तुनिष्ठ विषयों में ही डील कर सकता है। यहाँ यह उल्लेख करना उचित होगा कि वस्तुनिष्ठ, लौकिक, व भौतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन भी सम्भव है। अतः वर्तमान समाज व आगामी पीढ़ियों द्वारा हमारा मूल्यांकन किया जाएगा व वास्तविक कारणों से हमें स्वीकारा या नकारा जायेगा। हमारे पास स्वयं को सिद्ध करने का आधार केवल काम का परिणाम होगा। कोई बहाना नही होगा ।
मूलत: गवेषणा मानवीय मूल प्रवृत्तियों का अंग भी है। मानव की प्राकृतिक इच्छाओं में पुत्रैषणा (वंश वृद्धि), पित्तेषणा (लालच) एवं लोकेषणा (यश की चाह ) मुख्य हैं। गवेषणा (गौ के रुप में धन-धान्य की चाह) वित्तेषणा का प्रमुख घटक है। इस तरह एक स्वयंसेवी संस्था के रूप में गवेषणा का प्रयास मानव की मूल प्रवृत्तियों को प्रभावित करते हुये उनमें सुधार के उपाय करना हैं। मूल प्रवृत्तियों को प्रभावित करने का योजनावद्ध प्रयास हमारे उद्देश्यों में निहित है।
गवेषणा अभी तक अपने काम में इहलोकिकता, वस्तुनिष्ठता, भौतिकता में अपने मूल सिद्धांतो पर कायम है। उद्देश्य क्रमांक 5, 11, 14, 15, 17, 18,19,20,21,22 व 24 के कार्यान्वयन के लिए प्रारम्भ में हमने स्थानीय युवाओं को अपना लक्ष्य ग्रुप चुना है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना इन उद्देश्यों के कार्यान्वयन की कुंजी है। युवाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास के लिये गवेषणा ने जिज्ञासा लाइब्रेरी की स्थापना की है। जिज्ञासा में लगभग 9000 पुस्तकें युवाओं के अध्ययन के लिए उपलब्ध हैं। सभी प्रमुख समाचार पत्र व पत्रिकाएं छात्रों के उपयोग हेतु उपलब्ध कराई जा रही हैं। व्यक्तित्व के विकास के लिए माह में परिचर्चा, वादविवाद प्रतियोगिता व भाषण प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं। उद्देश्य क्रमांक 4, 6,18,20,21 के कार्यान्वयन हेतु कल्पवृक्ष नर्सरी की स्थापना की गई है। जिसमे लगभग 31400 पौध राशि का संग्रह है तथा उनका संवर्धन किया जा रहा है। लगभग 13000 पौधों का रोपण किया गया है। जापान की ‘मियावाकी’ पद्धति से 13 ऑक्सीजन बैंक स्थापित किये गए है व उनका संरक्षण किया जा रहा है। उद्देश्य क्रमांक 20 पर्यावरण नागरिकता के लोकव्यापीकरण हेतु सभी कलेंडर वर्षों के नव वर्ष पर पर्यावरण नागरिकता दिवस मनाया जाता हैं । संस्था के प्रयास से तीन व्यक्तियों ने शपथपूर्वक पर्यावरण नागरिकता को अंगीकृत व आत्मार्पित किया है। जैसा कि पूर्व में निवेदन किया गया है कि शोध या रिसर्च गवेषणा का आदि व अंत है। इस कारण संस्था ने शोध छात्रों के विशेष सम्मान स्वरूप डॉक्टर हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के अनेक PhD शोध छात्रों को, 1 एक विधि विशेषज्ञ, 3 सामाजिक कार्यकर्ताओं को मानसेवी सदस्यों का दर्जा देकर स्वयं से जोड़ा है व सम्मानित किया है ताकि शोधवृत्ति व वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास समाज में होवे ।
गवेषणा की विश्व दृष्टि पर यहाँ विचार करना प्रासंगिक होगा। गवेषणा अपने सम्प्रत्यय में ही एक महान विश्व दृष्टि को धारण करता है। गवेषणा अपने इक्कीसवें उद्देश्य में अभिहित करता है कि “चराचर केंद्रित मानव गरिमा के भाव को समाज का अंतरंग भाव बनाना।” यहाँ समाज का आशय स्थानीय समाज या भारतीय समाज न होकर अखिल मानव समाज या वैश्विक मानव सभ्यता है। अब तक वैश्विक मानव सभ्यता का अंतरंग भाव मानव केंद्रित है। मानव सभ्यता ने अभी इतनी प्रगति नहीं की है कि वह स्वयं से बाहर देख सके। वह देख सके कि सृष्टि में मानव मुख्य नहीं है, निषर्ग मुख्य है। मानव चराचर निषर्ग का एक अंग मात्र है। उसका स्वामी नहीं है, नियंता नही है। निषर्ग में स्वामी और दास का विभाजन भी नही है। गवेषणा का 21वां उद्देश्य हमें यही दृष्टि देता है कि चराचर सम्वेदी मानव गरिमा का भाव ही निषर्ग का अंतरंग भाव है, इस भाव को हमें केंद्रीय भाव बनाना है। केंद्रीय भाव मानव सभ्यता को धारण करता है। यदि हम अपने इक्कीसवें उद्देश्य को कार्य रूप में परिणित करना चाहते हैं तो “पर्यावरण नागरिकता हमारे सामने एक प्रमुख उपागम के रूप में प्रस्तुत होती है। जो हमारा बीसवां उद्देश्य है। हमारा बीसवां उद्देश्य शब्दशः ये है कि ” पर्यावरण नागरिकता के भाव का लोकव्यापीकरण व जनप्रिय बनाने का काम करना। यहां नागरिकता शब्द का अर्थ बिल्कुल वही है जो देश के नागरिक के संदर्भ में होता है। अर्थात हम चराचर पर्यावरण के प्रति भी उसी तरह समर्पित होंगे जिस तरह हम अपने देश के प्रति समर्पित होते है। यहां यह आशंका निर्मूल है चराचर सम्वेदी पर्यावरण नागरिक की हैसियत से पर्यावरण के प्रति समर्पित होने से देश के प्रति हमारे समर्पण में कोई कमी आ जाएगी । ऐसी कमी की कल्पना निराधार है। पर्यावरण नागरिकता की धारणा के पहले भी हम देश के नागरिक होते हुये, देश के प्रति समर्पित होते हुए भी हम अपने परिवार के भी सदस्य होते हैं। परिवार के प्रति पूर्ण समर्पण होते हुए भी हम अपने देश के प्रति भी पूर्ण समर्पित होते है। दोनों समर्पण में कोई विरोधाभास नहीं है। उसी प्रकार देश का नागरिक होने व पर्यावरण नागरिक होने के नाते चराचर पर्यावरण के प्रति पूर्ण समर्पण हमारी देश की नागरिकता के प्रति समर्पण में कोई बाधा नही आती है बल्कि चराचर पर्यावरण नागरिकता देश के नागरिक दायित्वों की पूर्ति में सहायक है। इसके प्रमाण के लिए चराचर पर्यावरण नागरिता की हमारी शपथ को देखा जा सकता है। पर्यावरण नागरिकता की शपथ का मुख्य भाव किफायती जीवन शैली को अपनाने पर जोर देना है (जो हमारा 24वां उद्देश्य है)। असहमति का आदर करना आदि। ये सब देश की नागरिकता के प्रति हमारे समर्पण को बढ़ाने वाले ही हैं, घटाने या कम करने वाले नही है । इस प्रकार चराचर सम्वेदी पर्यावरण नागरिता मानव केंद्रित पर्यावरण के उलट एक कॉपरनिकस क्रांति है। यही गवेषणा की विश्व दृष्टि है।
गवेषणा में “मानवोत्थान” भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यहाँ यह स्पष्ट किया जाना उचित है कि यद्यपि “गवेषणा” की सीमाओं के कारण हम केवल लौकिक, भौतिक व वस्तुनिष्ठ विधियों से केवल लौकिक, भौतिक व वस्तुनिष्ठ उद्देश्यों के लिये ही काम करते है। यह उल्लेखनीय है कि मानव की रचना व मानव का उत्थान केवल भौतिक तत्वों से सम्भव नहीं है। मनुष्य केवल भौतिक या जैविक पशु नही है। जीनव मूल्यों को चाहे हम भौतिक वस्तुनिष्ठ व इहलौकिक शब्द शैली में व्यक्त कर सकें परन्तु उनका असर अभौतिक व आत्मगत भी होता है। हम या कोई भी इस उपलब्धि को नकार नहीं सकते हैं। संस्था का द्वितीय उद्देश्य क्रमांक 2 – “मानव जीवन की गुणवत्ता एवं उत्कृष्ट जीवन मूल्यों सम्बन्धी शोध, समाज में लागू करने हेतु प्रयास करना”, आधारभूत महत्व का है। यहाँ स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जीवन की गुणवत्ता केवल भौतिक व वस्तुनिष्ठ नहीं होती है। अनेक अभौति व आत्मगत गुण जीवन को उत्कृष्ट बनाते हैं। जैसे प्रेम, सहानुभूति, वात्सल्य, अपनापन आदि। इसी तरह उद्देश्य क्रमांक 21 “चराचर केंद्रित मानव गरिमा के भाव को समाज का अंतरंग भाव बनाना ।” यह उद्देश्य भी पूर्णतः भौतिक व वस्तुगत नहीं है। गरिमा एक आत्मनिष्ठ व अभौतिक गुण है। परन्तु यदि हम उद्देश्य क्रमांक 5 के उत्तरार्ध वाक्यांश “वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना करना” पर ध्यान देवें तो इससे धुंध छट जाती है। इसका आशय यह है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त धर्मनिरपेक्ष समाज ” ही एक आदर्श समाज है। तथा हमें अन्य सभी उद्देश्यों पर इस दृष्टि से काम करना है कि हम मानव समाज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त व धर्मनिरपेक्ष समाज बना सके। उद्देश्य 21 की मानव गरिमा भी चराचर सम्वेदी है जो कि वस्तुनिष्ठ होती है। लोकोत्तर या आत्मकेंद्रित शब्द नहीं है।
इस तरह से यह स्पष्ट है कि मानव सभ्यता का सम्यक विकास गवेषणा का उद्देश्य है, जिस विकास का मूल्यांकन वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ठ, व लौकिक विधियों से किया जा सके।
हमारे सदस्य
Manohar S/O – Gopi Bai
Chairman of Gaveshna
Email – manohar.food@yahoo.com
Mob. no. – 8989836600
He obtained his masters of Arts in Philosophy and currently pursuing PhD in Philosophy from Dr. Hari Singh Gour Vishwavidyalaya, Sagar, MP. He is Retd. Assistant Supply Officer, Food and Civil Supply Department, Govt. of Madhya Pradesh. His interest area is in work for Human Dignity, Eco-Centric, Environment and Physical Wealth.
Er. Purushottama S/O – Gopi Bai
Vice Chairman of Gaveshna
Mob. No. – 9617310803
Email : purchr.sgr@gmail.com
He is B.Sc. in Electronics and MA in Economics. He is Vice President of Gaveshna and director of Kalpdham Infratech Pvt. Ltd. Sagar. He also partners of Kalpdham Group. His interest area is social service, physical fitness.
Er. Ramesh S/O – Gopi Bai
Secretary of Gaveshna
Email – ramesh.k.chourasia@gmail.com
Mob. no. – 9425453065
He is retd. Sub. Engineer Water Resources Department Govt. of Madhya Pradesh. He is Director of Kalpdham Group and Secretary of Gaveshna. His interest area is Jivan Jagriti and Social Services.
Sarita D/O – Ramdulari
Co-Secretary of Gaveshna
She is Director of Kalpdham Infratech Pvt. Ltd. Sagar and partners of Kalpdham Group. She is a Joint Secretary of Gaveshna. She has interest area in Social Services, Familyhood.
Aruna D/O – Sushila
Treasurer of Gaveshna
Email : arunaanu.ac@gmail.com
She is a treasurer of Gaveshna. She is a trustee in Khemchand Hospital and Research Centre. She is also director of Kalpdham Infratech Pvt. Ltd. Sagar. She is interested in Familyhood, Women Empowerment, Child Education and Speech Motivator of Gaveshna.
Shobha S/O – Devki Bai
General Manager and Chief Controller of Jigyasa Vachanalaya
She is an Executive Member of Gaveshna. She promotes Familyhood, Women Empowerment, Child Education, Promotes Inter-caste Marriages and Speech Motivator of Gaveshna Director of Kalpdham Infratech Pvt. Ltd. Sagar.
Er. Jayashree D/O – Madhuri
Managing Committee Member Of Gaveshna
She completed Engineering in Electronic and Tele Communication. She is an executive member of Gaveshna. Her interest area is in information technology, data survey and devoted to zero discrimination society.
Mahaveer Prasad S/O Yashoda
Managing Committee Member Of Gaveshna
Mahaveer Prasad completed his bachelor of engineering in Civil. He is retired executive Engineer, Govt. Chhattisgarh. His is an active participant in various social welfair services. He is also awardee of “Abhiyanta Ratn” Manav Vigyan evm Seva Sansthan Chhattisgarh in ‘State Level Engineer Investiture Ceremony’.
Dr. Dinesh Kumar S/O – Chand Bai
Head of Auditorial Board of Gaveshna
Executive Director of Gaveshna Research Institute (GRI)
Email: – dineshneo90@gmail.com
Dr. Kumar has completed MA in Philosophy with Gold Medal and he has completed his Ph.D. entitled “Phenomenology of consciousness in Buddhism” from Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya Sagar Madhya Pradesh. Dr. Kumar is a ICPR (Indian Council of Philosophical Research, New Delhi) post-doctoral fellow at Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya Sagar, Madhya Pradesh. He has qualified UGC NET/JRF in philosophy, comparative religion, peace study and also qualified ICPR JRF. His interest area is in philosophy of mind, metaphysics of consciousness, philosophy of science, social philosophy and philosophy of language. He has Published numbers of research articles in national and international reputed journals. He is Co-Editor of The Journal of Scientific Discourse. He is an active lifetime member of ICPR-New Delhi, ABDP-Madhya Pradesh.
Dr. Chandan Singh S/O – Asha Devi
Operating Director of GRI
Head of Gaveshna Vrukshmitra Cell
Email: chandan.singhx20@gmail.com
Research gate: https://www.researchgate.net/profile/Chandan-Singh-32
Web of Science: https://publons.com/researcher/1857737/chandan-singh/
Google scholar: https://scholar.google.com/citations?hl=en&user=yNSie4wAAAAJ
Orcid: https://orcid.org/0000-0003-0068-9533
https://researchid.co/ashutosh
Dr. Chandan Singh obtained his M.Sc. and Ph.D. from the Lab of Microbial Technology and Plant Pathology, Department of Botany, Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya, Sagar. Dr. Singh has published a number of articles in national and international journals and many book chapters for national and international publishers. He has also published a book entitled Mycotalks. He has also worked in various NGOs and has provided farmers with hands-on training on mushroom production and biofertilizers. He also works as a reviewer for various international and national journals. Currently, he is an operating director at Gaveshna Research Institute and Managing Editor of the Journal of Scientific Discourse. Dr. Singh has research interests in Organic farming, Roof gardening, Biochar, Mushroom biology and Secondary Metabolites of mushrooms and their Role in Enhancing Resistance in Crop Plants.
Mamta Nayak D/O Anusuya Nayak
Member of Gaveshna
Native – Odisha
Education – Matric (11th)
Interest – Making people aware about social evils, bringing awareness about casteism, religious fanaticism etc. and working for social reform, making people aware about rights and education for the upliftment of women, health under child welfare, mothers for malnutrition. I am interested in educating people, establishing a secular society with scientific approach, making people aware about the right and utility of organ donation, making them aware about the environment, reading books and presenting my views through articles. I am an executive member of Federation of Indian Rationalist Associations (FIRA). Since I am from Odisha, I work to raise awareness for many organizations there. I live permanently in Bangalore.
Er. Saransh Gautam
Head of Gaveshna Skill Training Certification Cell
Engineering in Electronics & Instrumentation from the 2010 batch of Govt. Engineering College SATI, Vidisha.
MA (Gold Medal) in Indian Philosophy in 2018 from Rani Durgavati Vishwa Vidyalaya, Jabalpur.
Saransh Gautam, who understands life as a journey from discovery to realization, has special interest in art, poetry writing, literature, Philosophy and spirituality along with professional acumen & interest in management, sales marketing and branding. He started his professional life as a software engineer at Tech Mahindra IT Company, after which he did the business of interior designing and renovation in Pune for five years. For the past four years, he has held the position of Head of Sales, Marketing, and Branding at Kalpdham Group, Sagar, a prominent real estate firm in Central India. From 2021, having been associated with the organization “Gaveshna” since its inception, he is playing an active role as an associate honorary member. Utilizing various social platforms, he effectively communicates about the core topics of ‘Gaveshna’ such As Environment, Consumer Rights, Education, Encouraging and advocating for Organ Donation & Body Donation. This engagement serves to inform, inspire, and provoke thought among audiences, contributing to greater awareness and understanding of these significant societal matters. Currently he also serving the Gaveshna as Head of Gaveshna Skill Training Certification Cell.
CA Shiva Chaurasiya
Member of Gaveshna
Email: – ca.schaurasia@gmail.com
“I am Shiva Chaurasiya, a Chartered Accountant, driven by a passion for precision in finance. With a robust background in financial management, I am dedicated to delivering excellence in every project I undertake. I am honored to be part of Gaveshna, a platform committed to a diverse mission encompassing education, social equality, environmental advocacy, and societal benefits. By applying my expertise as a Chartered Accountant, I strive to uphold transparency and accountability within the organization, furthering its noble mission of fostering positive change in society. Drawing inspiration from my mother’s dedication to caring for others, I am actively involved in contributing to public healthcare initiatives and educational awareness for the betterment of our community.”
Mr. Tarun Kumar Sahu S/O Sheelarani
Head of Gaveshna Public Relations Officer
Ph.D. Sociology, Dr. H.S.G. V. Sagar
UGC Net Qualified in Sociology
Email: – tarunsahu0786@gmail.com
Mr. Tarun is a course instructor in sociology at Bhagyoday Tirth Nursing college, Sagar MP, India and also diploma in food processing and management from Community college at Dr. H.S.G.V. Sagar. He is also working as the Program manager at Sagar DLN Ti Sagar under Madhya Pradesh AIDS control society. He is an active member in Gaveshna as a Public Relation Officer.
Shiv Kumar Yadav S/O Phoolvati
Head of Gaveshna Innovation Cell
Email – shiv8720@gmail.com
Shiv Kumar has completed MA in philosophy with Gold medal and he is pursuing PhD from Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya Sagar with title ‘Patanjal Yogadarshan mein Karm ki Awdharana: Ek Sameekshatmaka Adhyayan’ . Shiv Kumar is qualified UGC NET in philosophy and also qualified ICPR-JRF . His interest area is Yoga philosophy, applied vedanta philosophy, metaphysics of conscious & unconscious existence, philosophy of science, social philosophy, political science and scientific research methods. He has published number of Research article in reputed National journal and also achieved the Dr. Vijay shree smrati national award by Akhil Bhartiya Darshan parishad, Bhopal. He is a active life member of ICPR – New Delhi and ADBP – Bhopal.
Mr. Amit Kumar S/O – Ramkali
Legal Aid Officer at Gaveshna
Ph. D. Research Scholar, Legal Aid Officer at Gaveshna
Email: akumarofficial5343@gmail.com
Mr. Amit Kumar has completed B. Sc. (Physics, Chemistry, & Mathematics) from Genius College, Morena M.P. and B.A. (Criminology, Geography, & Economics) from Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalaya, A Central University, Sagar, M.P. He also completed his Masters in Criminology from the Department of Criminology and Forensic Science at DHSGSU, Sagar. Mr. Kumar is a University Medalist in his Master’s degree. Presently, he is pursuing Ph. D. in Psychology from Department of Psychology at University of Allahabad, Prayagraj. Mr. Kumar has qualified UGC- Junior Research Fellow in Criminology during his master’s degree. His research interest areas are Criminology, Victimology, Criminal Psychology, Custodial Violence, Intimate Partner Violence and Sexual Offenses. He is the life member of Indian Society of Victimology (ISV) and Global Initiative Academic Network (GIAN).
Adv. Ramkaran S/o Ramsakhi
Head of Gaveshna Legal Proceedings Cell
Email: – advramkaran9@gmail.com
Adv. Ramkaran has completed his Bachelor of Law (LLB) from Dr. H.S.G.V. Sagar and currently he is a practicing Advocate at Supreme Court of India and a Legal Advisor to Gaveshna.
Kailash S/O – Prem Bai
Head of Gaveshna Organ Donation Cell
He is completed B.Sc. He is President of Gaveshna Organ Donation Cell and also proprietor of A.C.C. Dealer, Sagar. He came 1st in Bhaskar Marathon Championship. He is very much interested in social Services, Games and Expeditio
Er. Ankur S/O – Shobha
Member of Gaveshna
Er. Ankur completed B.Tech. in Information Technology. He is director of Kalpdham Group. He is truly involved in speech motivator of Gaveshna, devoted to eco-centric civilization and he is diligent person for sports and game of Kalpdham champion league.
Abhay S/O – Sushila
Member of Gaveshna
Abhay has completed his M. Com, MBA, MSW at Dr. H.S.G.V. Sagar, MP, India. He is currently working as a Project Manger at Kalpdham Group and he is an active member of Gaveshna. He is Devoted to Develop well equipped school infrastructure and establishment for Economical backward students and also he is interested to create casteless society, promotes awareness about the organ donation rights and also work for the promotion of sustainable life style.
Govind S/O Saroj
Member of Gaveshna
He is Member of Gaveshna. He is member of Narmada Safai Abhiyan and also organizer of Gourjhamar Premier League. He is active participant in activities like sports and games and Physical Fitness.
Anand Dangi S/O – Krishna
Research Associate at Gaveshna Research Institute (GRI)
Formatting & Type Setting Editor at The Journal of Scientific Discourse
Email: – ananddangi.2020@rediffmail.com
Anand Dangi completed his MA in Philosophy with Gold Medal from Dr. Hari Singh Gour Vishwavidyalaya, Sagar, Madhya Pradesh. He has also completed ITI in COPA (Computer Operator and Programming Assistant) NCVT at Govt. Model ITI, Bhopal. He worked as a computer instructor for 3 years. He also worked as Computer Operator at Azim Premji Foundation, Sagar Branch. He has qualified UGC NET in Philosophy. He is a Research Associate in Gaveshna Research Institute and Formatting & Type Setting Editor at The Journal of Scientific Discourse.
Sonu Chourasiya S/O – Keerti
Jigyasa Library Manager and Computer Operator
Email: – sonuchourasiya888@gmail.com
Sonu Chaurasiya has completed B.Sc. in Computer Science from Gyanveer Institute of Management College, Sagar, Madhya Pradesh. He is interested in Photography and Videography. He is working as a manager at Jigyasa Library and Computer Operator in Gaveshna Research Institute.
Pradeep S/O- Saroj
Co-Manager at Jigyasa Library
Email: –pradeepvaidya1998@gmail.com
Pradeep Kumar completed his MA in Political science at Dr. Hari Singh Gour Vishwavidyalaya, Sagar, MP. He is pursuing PhD in Political Science at Maharaja Chhatrasal Bundelkhand University, Chhatarpur, MP. His keen interest area isin Political Economy, Inquiring the Social Philosophy and cinema analyst on the ground of social & Political Philosophy. He is working in Gaveshna as Office Assistant.