अध्यक्षीय संदेश

मनोहर पुत्र गोपीबाई – अध्यक्ष (गवेषणा)

गवेषणाः स्वपोषी सभ्यता का मार्ग

गैर सरकारी स्वायत्त संस्था “गवेषणा मानवोत्थान पर्यावरण तथा स्वास्थ्य जागरूकता समिति (पंजीयन संख्या 06/09/01/13885 / 21 ) ” का बीजशब्द ‘गवेषणा’ सामान्यतः चार अर्थों के शोधमार्ग (4-lane highway) को अभिव्यक्त करता है। पहला अर्थ लौकिक “धनधान्य के रूपक गाय की खोज” के रूप में, दूसरा अर्थ ज्ञानेंद्रियों के सम्वेदी प्रत्यक्ष ज्ञान के रूप में, तीसरा अर्थ मानव की मूलप्रवृति ‘वित्तेषणा’ के घटक के रूप में तथा शोध या खोज के रूप में चौथा अर्थ | यह स्पष्ट है कि “वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लौकिक सम्पन्नता की खोज” में ये चारों शामिल हैं। लौकिक सम्पन्नता जब तक स्थाई न हो उसका कोई मूल्य नहीं है, वह यदि मानव गरिमा की कीमत पर हो तो निश्चित ही त्याज्य होगी। इस कारण एक ‘संस्था के उद्देश्यों में व्याप्त आत्मा’ के रूप में जब हम ‘गवेषणा’ शब्द का उपयोग करते हैं तो गवेषणा का आशय वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर निर्भर उन प्रविधियों से है जिनके द्वारा लौकिक, चराचर – सम्वेदी, गरिमापूर्ण व सहअस्तित्व पूर्ण, आधुनिक एवं उत्तर आधुनिक उत्कृष्ट जीवन मूल्यों पर आधारित, सस्टेनेबिल, बहुलवादी, वंचितों व कमजोरों के विशेषाधिकार व असहमति का आदर करने वाली मानव सभ्यता का विकास किया जा सके।
“गवेषणा मानवोत्थान पर्यावरण तथा स्वास्थ्य जागरूकता समिति” के उद्देश्यों में हम इस जीवन दर्शन को देख सकते हैं, अनुकरण भी कर सकते हैं। हमारे पंजीकृत उद्देश्य क्र 2 – मानव जीवन की गुणवत्ता एवं उत्कृष्ट जीवन मूल्यों संबंधी शोध को समाज में लागू करने का प्रयोग करने। उद्देश्य क्र 3-पर्यावरण एवं स्वास्थ्य स्थिति पर शोध, सर्वे एवं रिपोर्ट तैयार करके सुधार के उपाय करने। उद्देश्य क्र 4- उत्कृष्ट जीवन मूल्यों एवं पर्यावरण का संरक्षण करने। उद्देश्य क्र 5 – धर्मांधता, जातिवाद आदि के सम्बंध में जागरूकता लाना व वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त धर्मनिर्पेक्ष समाज की स्थापना करना। 21-चराचर केंद्रित मानव गरिमा के भाव को समाज का अन्तरंग भाव बनाना आदि। इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु गवेषणा ने, ‘गवेषणा शोध संस्थान की स्थापना की है। जो जीवन मूल्यों व वैज्ञानिक दृष्टिकोण परक शोध कार्यों को प्रमोट करता है। ‘द जर्नल ऑफ़ साईंटिफिक डिस्कोर्स’ नामक त्रैमासिक – द्विभाषीय शोध पत्रिका का प्रकाशन कर रहा है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु हमने ‘जिज्ञासा लाइब्रेरी’ की स्थापना की है। जिज्ञासा में लगभग नौ हजार पुस्तकें हैं । सैकड़ों विद्यार्थी व शोध छात्र इनका लाभ उठा रहे हैं। ‘गवेषणा संवाद’ के तहत वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विभिन्न मुद्दों पर माह में दो बार परिचर्चाओं का आयोजन किया जाता है। गवेषणा प्रबन्धकारणी समिति द्वारा 25/12/ 2022 को प्रस्ताव क्रमांक 16 द्वारा ‘सिविल अंत्येष्टि’ के रूप में ‘कम्पोष्ट अंत्येष्टि’ को स्वीकार करने। प्रस्ताव 21 द्वारा चराचर केंद्रित पर्यावरण नागरिकता को साकार करने के संकल्पों को स्वीकार किया है। 30/4/2023 को प्रस्ताव 8 द्वारा अहं केंद्रित जीवन दर्शन में बदलाव स्वीकार करते हुये, बोलचाल में “मैं” के स्थान पर “हम” शब्द के उपयोग को स्वीकार किया गया है। गवेषणा के सभी सदस्यों व व्यवहारियों द्वारा इन संकल्प को व्यवहारिक जीवन मे चरितार्थ भी किया गया है। मानव व्यक्तित्व में वांछित परिवर्तन हेतु गवेषणा ‘जीवन जागृति अभियान’ भी चला रही है।
इसी क्रम में उद्देश्य क्रमांक 18- ‘कम्पोस्ट अंत्येष्टि ‘ के लोक व्यापिकरण जनप्रिय बनाने हेतु काम करना। 20-चराचर केंद्रित पर्यावरण नागरिकता के लोक व्यापिकरण व जनप्रिय बनाने हेतु काम करना । 24- पर्यावरण अनुकूल किफायती जीवनशैली के प्रसार-प्रचार हेतु काम करना । गवेषणा का ‘वृक्ष मित्र प्रकोष्ठ’ इन उद्देश्यों को साकार करने का काम कर रहा है। जिसकि अध्यक्षता प्लांट पैथोलॉजी में PhD डॉ चंदन सिंह के पास है । इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु गवेषणा ने ‘कल्पवृक्ष नर्सरी’ की स्थापना की है जिसमें वर्तमान में लगभग 31427 पौधे हैं। जिनमें अनेक पौधे दुर्लभ व समाप्तप्राय प्रजातियों के भी हैं। गवेषणा ने अभी तक लगभग 13100 पौधे रोपित किये हैं तथा उनकी सुरक्षा करते हुए बड़वार को भी सुनिश्चित कर रहे हैं। हमनें जिले में व जिले से बाहर जापानी ‘मियावाकी’ तकनीक से 13 ऑक्सीजन बैंक स्थापित किये हैं। गवेषणा ने वर्ष के सभी कैलेंडर नव वर्षों को ‘पर्यावरण नागरिकता दिवस’ समारोह मनाने का फैसला किया है। गवेषणा ने पर्यावरण नागरिकता की शपथ ग्रहण करने का अभियान भी चलाया हुआ है। व्यक्तिगत रूप से हमने ‘कम्पोस्ट अंत्येष्टि’ को अपनी ‘अंतिम इच्छा’ के रूप में व्यक्त किया है। प्रबन्धकारणी समिति की बैठक दिनाँक 27/11/2022 के प्रस्ताव क्रमांक 7 के द्वारा हमने संकल्प लिया है कि सदैव वन साइड यूज्ड पेपर का ही उपयोग करेंगे। बैठक दिनाँक 25/12/2022 के संकल्प 16 व 21 इस वर्ग के उद्देश्यों में अधिक सार्थक रूप से काम कर रहे हैं।
गवेषणा के पंजीकृत उद्देश्य क्रमांक 12 – नेत्रदान, रक्तदान, अंगदान के प्रचार प्रसार हेतु कार्य करने। 19- मानव मात्र के गरिमापूर्ण जीवन, तथा शरीर व मन शिथिल होने पर अंगदान उपरांत गरिमामय पूर्णता के लिए काम करना । 22-अंगदान के उद्देश्य के लिए काम करना आदि । इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संस्था ने अंगदान प्रकोष्ठ का गठन किया है। देश की सभी सरकारी व प्रायवेट मेडिकल कॉलेजों में अंगदान व अंग प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु हमने माननीय सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका क्र WPC No. 57/2024 प्रस्तुत की है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने विचार हेतु ये जनहित याचिका स्वीकार करते हुए केंद्र व सभी राज्य सरकारों को 02 फरवरी 2024 को नोटिस जारी किया है। गवेषणा के प्रभाव से हमने स्वयं अपने सभी अंग ऊतकों का दान अन्य जरूरतमंद व्यक्तियों में प्रत्यारोपण करने की लिविंग बिल निष्पादित की है। गवेषणा से प्रभावित अनेक अन्य व्यक्तियों ने भी NOTAA के लिंक पर सभी अंग-ऊतकों का मरणोपरांत दान किया है। स्वयं मेरे सहित गवेषणा से प्रभावित अनेक लोगों ने मरणोपरांत देह का दान बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर को किया है।
गवेषणा के पंजीकृत उद्देश्य 15 – जाति विहीन समाज के उत्थान के लिए काम करने के विषय में हमारे सदस्य निजी रूप से अंतर – जातीय वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर रहे हैं। गवेषणा प्रबन्धकारणी की बैठक 23/03/2023 प्रस्ताव 1 के द्वारा अपनी निजी पहचान के रूप में जाति का व पिता के नाम का उपयोग बंद कर दिया गया है। अब हम अपनी निजी पहचान के रूप में केवल माता के नाम का उपयोग कर रहे हैं। इस प्रकार हमने जातिवाद के साथ-साथ पितृसत्ता के विरुद्ध भी अभियान चलाया है। उद्देश्य क्र – 17 मानव गुणवत्ता सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने तथा कदाचरण की जांच व विधिक कार्यवाही हेतु ‘गवेषणा के अन्वेषण प्रकोष्ठ’ की स्थापना की है। गवेषणा अध्यक्ष के रूप में स्वयं मैंने अपनी शासकीय सेवा के दौरान सम्पूर्ण गतिविधियों की जांच करने व मेरे विरुद्ध विधि वांछित कार्यवाही का आह्वान किया है। अपने सेवा काल के सभी अभिलेख सभी अभिलेख भी मैंने जांच हेतु ओपन किये हैं । कोई भी इच्छुक व्यक्ति कभी उनकी जांच करवाके मेरे विरुद्ध अभियोजन प्रारंभ कर सकता है । मेरा हर सम्भव सहयोग इस हेतु रहेगा। उद्देश्य 23 – ‘परियोजनाओं व परिघटनाओं के पर्यावरण प्रभाव प्राक्कलन, पर्यावरण, ‘सोशल ऑडिट, ‘एनर्जी ऑडिट’ तथा ‘पर्यावरण ऑडिट’ संचालित करने तथा इस विषय मे प्रशिक्षित वर्कफोर्स तैयार करने हेतु गवेषणा ने ‘कौशल प्रशिक्षण तथा प्रमाणन प्रकोष्ठ’ की स्थापना की है। इस तरह “गवेषणा मानवोत्थान पर्यावरण तथा स्वास्थ्य जागरूकता समिति” वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर निर्भर प्रविधियों से परिचालित है | लौकिक, चराचर – सम्वेदी, गरिमापूर्ण व सहअस्तित्वपूर्ण, उत्कृष्ट जीवन मूल्यों पर आधारित, सस्टेनेबिल, बहुलवादी, वंचितों व कमजोरों के विशेषाधिकार व असहमति का आदर करने वाली मानव सभ्यता के विकास हेतु वांछित शोध कार्य व योजनाबद्ध व्यवहारिक नियोजन कर रहा है।”